Chandrayan 3 launching 2023: 4 साल बाद लांच किया जाएगा chandrayaan-3 SAC के निर्देश 14 जुलाई 2023 को जारी होगा
chandrayaan-3 की लॉन्चिंग को Chandrayan 3 लेकर पूरे भारतवर्ष में इसरो की सहारना की जा रही है। इसरो ने कड़ी मेहनत के 4 वर्ष बाद chandrayaan-3 को बनाया है। जिसके लिए इसरो की तरफ से 2019 में चली chandrayaan-2 को स्पेस में भेजे गया था जिसकी लॉन्चिंग सफलतापूर्वक होने के बाद को स्पेस में भेजे गया था।
मिशन चंद्रयान 3 chandrayaan-2 से काफी अलग है। चंद्रयान में रह गई प्रमुख त्रुटियों का पता लगाने के लिए chandrayaan-3 में लगभग 21 बदलाव किए गए हैं। जिनमें एल्गोरिथम प्रोसेसिंग सेंसर प्रोसेसिंग हार्डवेयर में बदलाव chandrayaan-3 का ज्यादातर काम अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में किया गया तथा chandrayaan-3 कॉल लांच आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा सतीश धवन केंद्र से 14 जुलाई 2023 को जारी किया जाएगा। इसरो के वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश का कहना है भारत की तरफ से भेजे जाना बाला, chandrayaan-3 जल्द ही 14 जुलाई 2023 2:30 पर लांच किया जाएगा।
चंद्रयान 3 में एसएसी अहमदाबाद के निर्देशक नीलेश एंड देसाई ने गुजराती में बताते हुए कहा कि chandrayaan-3 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे, यह chandrayaan-2 के मुकाबले अधिक शक्तिशाली है। जिसमें महत्वपूर्ण बदलाव करने के कारण इसकी कमियों को दूर किया गया है, chandrayaan-2 में विभिन्न विभिन्न खामियां होते हुए वह अच्छी तरह सेटेलाइट से तथा इसरो की कनेक्टिविटी से अलग हो गया था।
इस बार एलडीवी लेजर फ्लावर वैली सिटी मीटर नामक सेंसर लगाया गया है। जिसमें कती की चारों दिशाओं को वह बताएगा जिसके लिए लेजर अल्टीमीटर रडार अल्टीमीटर कैमरा रियली शक्ति सुधार किए गए हैं जिसकी वजह से हार्डवेयर सॉफ्टवेयर प्रोसेसिंग एल्गो धरम को सेंसर के रूप में जॉइंट किया गया है। परीक्षा होने से पहले इसकी जांच की गई है और उस सभी त्रुटियों को दूर किया गया है।
आंध्र प्रदेश के निर्देशक नीलेश एंड देसाई ने बताया कि chandrayaan-2 में पांच महत्वपूर्ण कमियां थी जिसकी वजह से इंजन पावर जनरेटर के बंद हो जाने पर उसकी क्षमता कुल 900 पीपीएस थी इस बार, chandrayaan-3 में इंजन की पावर जनरेटर की क्षमता 500 पीपीएसए जबकि टैंक क्षमता 390 किलोग्राम से बढ़ाकर 470 किलोग्राम कर दी गई है टैंक में हाइड्रोजन इंदर लिक्विड ऑक्सीजन महत्वपूर्ण मात्रा में भरा गया है।
उन्होंने बताया कि chandrayaan-3 का लैब बैटरी ग्रेट फिल्ड में भी परीक्षण किया जा चुका है। अब उसको चंद्रमा पर भेजने की बारी है चंद्रमा पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए, chandrayaan-3 को अहमदाबाद बेंगलुरु श्रीहरिकोटा में परीक्षण किया गया जिस के अलग-अलग वातावरण में चांद जैसी जगह बनाकर लैडर को उतारा
गया और वहां पर लैडर 3 मीटर प्रति सेकंड की गति से चंद्रमा की सतह से टकराता है और वहां पर महत्वपूर्ण उतर जाता है।
इसके अलावा बेंगलुरु से 200 किलोमीटर दूर चित्रदुर्ग में भी हेलीकॉप्टर फ्लाइट के माध्यम से chandrayaan-3 के लेड स्टेट में भी इसके अलावा चंद्रमा पर स्थित आवास किए गए सेंसर रेगुलेशन लाइटिंग कन्वेंशन का भी परीक्षण किया गया कि ऊपर जाने के बाद चांद की अच्छी तरीके से फोटोस लैडर के माध्यम से आ सके इसरो ने इसको कड़ी मेहनत सारी त्रुटिपूर्ण सुविधाओं से बनाया है। जिसके लिए chandrayaan-2 ऐसा खामियां ना भुगतना पड़े
chandrayaan-3 में अहमदाबाद के वैज्ञानिकों क्या योगदान रहा
चंद्र यान 3 में अहमदाबाद के वैज्ञानिक निर्देशक निलेश एम देसाई ने बताया कि इस अभियान को chandrayaan-3 या मिशन के नाम से 4 साल की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया है। जिसमें 350 इसरो तथा स्वास्थ्य से इंजीनियर और कुल मिलाकर 1000 अधिक से इसरो के लोग सुरक्षित रहें इन सभी का अच्छी तरीके से योगदान रहा उन्होंने बताया कि लेटर फॉर एआई कैमरा और रोवर पर आर आई कैमरा अहमदाबाद में बनाए गए हैं। आ रहे कैमरा लेदर को देखते रहेंगे विभिन्न एंगल से तस्वीरें क्लिक करते हुए इसरो के स्पेस में भेजेंगे उसके अलावा रोवर के पैसों में इसरो के लोगों ने इसकी एक चंद्रमा की सतह पर पड़ेगी और उसका फोटो भी स्पेस में आएगा।
इस अभियान में भारत की सबसे बड़ी नानी कंपनियों का योगदान रहा वह कौन-कौन
chandrayaan-3 की लॉन्चिंग विनिंग के निर्माण में एचएएल तथा एचडी और गोदरेज जैसी निजी एजेंसियों ने सहयोग दिया है। जिसकी सेटेलाइट के लिए बेंगलुरु की कंपनियों ने पलट के अमदाबाद कि कंपनी ने तथा वेंडर समर्थन जैसी मिल कंपनियों ने इस में अच्छा योगदान किया।
इस अभियान में मेड इन इंडिया का योगदान क्या था Chandrayan 3
chandrayaan-3chandrayaan-3 पर सर के द्वारा रडार 80 मीटर और हाई जाए डीजे जन एवं आयुष सिस्टम का फेब्रिकेशन भारत की तरफ से किया गया है। जिसके लिए बड़े-बड़े लीडर तथा वैल्यू सिटी मीटर और एलएसए लेजर अल्टीमीटर बेंगलुरु में बनाए गए तथा उससे अधिक कीजिए अहमदाबाद में भी बनाई गई है। जैसे, लेजर में कैमरा उसके अलावा मैकेनिकल फेब्रिकेशन भारत में अधिकांश इलेक्ट्रिकल पार्ट्स विदेशों में स्पोर्ट की गई।
चंद्रयान की सुरक्षित लैंडिंग के ने क्या क लिए इसरोहा
chandrayaan-3 चंद्रमा की कक्षा में आने के बाद लैंडिंग के 9 घंटा बाद पहले ऑपरेटर कैमरे के माध्यम से इसरो के 100 किलोमीटर की ऊंचाई से अधिक की तस्वीरें क्लिक करेगा जिसके लिए
सॉफ्ट लैंडिंग साइड 2 घंटे के बाद chandrayaan-3 ऑर्बिट में होगा 23 अगस्त को देख सकता है कि लैंडिंग चंद्रमा की सतह पर की जाए अगर लैंडिंग की परिस्थितियां अनुकूल रही रही तो लैंडिंग 23 अगस्त की वजह 26 अगस्त को स्पेस में चंद्रमा की सतह पर दिखाई देगा chandrayaan-3 चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले 150 मीटर की ऊंचाई पर हो ब्रिंग करेगा जिसमें वह निर्धारित जगह देखेगा तथा उसकी साइड की लैंडिंग के लिए अन्य निर्धारित दिशाएं 21 सेकंड में इसरो के वैज्ञानिक तय करेंगे